मंगलवार, 2 सितंबर 2008

अरुण दाते की सहज गायकी

कुछ और पोस्ट करना था, कुछ और कर रहा हूँ। इसका कारण छोटे मियां हैं जिनको गहरी नींद से उठाने के लिये मुझे तरह-तरह के गीत बजाने पड़े। उसी प्रक्रिया में इस गीत पर नज़र गई जो एक अरसे से मैंने नहीं सुना था।
कुछ दो-एक साल पहले आफ़िस में मेरे डेस्क पर अरुण दाते (Arun Date) की एक सीडी पड़ी थी। मेरे एक कर्नाटकी सहकर्मी ने वह सीडी उठाई और बोला, "ये अरुण डेट कौन है?" आप हँस सकते हैं मगर मुझे दुख हुआ। ऐसी है हमारी अनभिज्ञता। दुनिया के दूसरे छोर पर बैठे जार्ज माइकल के समलैंगिक सम्बंध तो हमारे अखबारों की सुर्खियां बन जाते हैं मगर अपने ही प्रादेशिक कलाकार हमारे लिए लगभग अनजान रहते हैं।
अरुण दाते मराठी कला जगत में बहुत बड़े हस्ताक्षर हैं। उनके गाए कुछ गीत और भावगीतों को सुनने का अवसर मुझे मिला है। अपने गायन से वे एक सहज संसार बुनते हैं जो उसी सहजता से सुनने वालों तक प्रेषित भी होता है। उनको सुनना, उनसे संवाद करने जैसा लगता है और आपको महसूस होगा कि आप एक हद तक उनके व्यक्तित्व को समझ भी पा रहे हैं।
इस गीत में उनका साथ लता जी ने दिया है। गीत गंगाधर महांबरे का है और संगीत प. हृदयनाथ मंगेशकर ने दिया है। अफ़सोस मेरे पास इस गीत का अनुवाद नहीं है। सभी मराठी भाषी भाईयों-बहनों से गुज़ारिश है यहां मेरी मदद करने की। गीत मैंने नीचे दे दिया है।
संधीकाली या अशा, धुंदल्या दिशा दिशा,
चांद येइ अंबरी चांदराती रम्य या,
संगती सखी प्रिया, प्रीत होइ बावरी
मुग्ध तू नि मुग्ध मी, अबोल गोड संभ्रमी, एकरूप संगमी
रातराणीच्यामुळे, श्वास धुंद परिमळे, फुलत प्रीतिची फुले
प्रणयगीत हे असे, कानि ऐकू येतसे, गीती शब्द ना जरी
सांजरंगी रंगुनी, न कळताच दंगुनी, हृदयतार छेडुनी
युगुलगीत गाउनी, एकरूप हो‍उनी, देउ प्रीत दावुनी
प्रणायचित्र हे दिसे, रंगसंगती ठसे, कुंचला नसे जरी

6 टिप्पणियां:

विनय (Viney) ने कहा…

बहुत मधुर आवाज़ है दाते साहब की! मुझे विशेषकर उनकी आवाज़ का उतार-चढाव पसंद आया| सुनवाने के लिए धन्यवाद

Geet Chaturvedi ने कहा…

भई, अरुण दाते मुझे भी बहुत प्रिय हैं. अच्‍छा लगा, आपने उन्‍हें याद किया. मेरी एक कहानी में एक महिला जब बहुत दुखी होती है, तो लैंपपोस्‍ट के नीचे खड़े हो अरुण दाते के ही गीत गाती है.

Abhishek Ojha ने कहा…

"दुनिया के दूसरे छोर पर बैठे जार्ज माइकल के समलैंगिक सम्बंध तो हमारे अखबारों की सुर्खियां बन जाते हैं मगर अपने ही प्रादेशिक कलाकार हमारे लिए लगभग अनजान रहते हैं". बात तो सही है... और मैंने भी कभी पहले अरुण दाते के बारे में नहीं सुना था. धन्यवाद ही कहूँगा इस पोस्ट के लिए.

इस लाइन से एक और बात याद आ गयी हमारे एक मित्र आईआईएम का इंटरव्यू देने गए थे उनसे पूछा गया की भारत का उपराष्ट्रपति कौन है? उन्हें नहीं पता था, जब गेस करने को कहा गया तो बड़ी मुश्किल से उन्होंने जवाब दिया 'सोमनाथ बनर्जी' !

कमाल की बात ये थी की उन्हें उस दौरान बार-बार डिक चेनी का नाम याद आ रहा था जो उस समय अमेरिका के उपराष्ट्रपति थे. दूसरी कमाल की बात ये थी की उन्हें इंटरव्यू में पास घोषित किया गया !

महेन ने कहा…

गीत भाई, जाते जाते कहानी का अता पता ही दे जाते।

अभिषेक, मेरा प्रयास है दुनिया भर का संगीत इकठ्ठा करना और उससे भी पहले पूरे भारत भर से गीत-संगीत समेट सकना। मुझे भी कोई खास जानकारी नहीं है और यह काम आसान नहीं है। दूसरी दिक्कत यह है कि गाने तो मैं फ़िर भी एकत्र कर लूँ, मगर उनपर चर्चा कर सकने वाले, उन्हें समझा सकने वाले लोगों की ज़रूरत है। मैं अर्थ और प्रादेशिक कला दुनिया में बग़ैर पृष्ठभूमि जाने घुसपैठ भी नहीं कर सकता।

Geet Chaturvedi ने कहा…

वह कहानी तद्भव में आई थी. ऑनलाइन पढ़ सकते हैं-

साहिब है रंगरेज़

महेन ने कहा…

गीत,
सच कहूँ तो एक सिटिंग में तीन घंटे लगाकर पूरी कहानी पढ़ गया। आपके चरित्र खुद बात करते हैं। हर बार जब लगा कि वे कुछ ऐसा करेंगे, उन्होनें हर बार चौंकाया। बेहद अच्छा लगा।

 

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