सोमवार, 29 सितंबर 2008

देवताओं का आह्वाहन और लोकगीत - जागर

जागर के बारे में मैं कुछ कहूँ इसकी ज़रूरत नहीं। आज एक ऐसे ब्लोग पर पहुँचा जहां जागर के सम्बंध में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध है। फिर भी इतना तो ज़रूर बताऊँगा कि यह गायन की ऐसी विधा है जिसके द्वारा देवताओं का आह्वाहन किया जाता है और उनसे अपनी समस्याओं का निदान करवाया जाता है।
यह जागर मैनें पिछले हफ़्ते ही अपने दूसरे ब्लोग पर लगाया था। यहाँ इसे लगाने के दो कारण हैं: एक तो विविध प्रकार के संगीत का साझा करने के उद्देश्य से यह ब्लोग बनाया गया है इसलिए कायदे से मुझे यहीं जागर भी पोस्ट करना चाहिये और दूसरा वे सभी लोग जो इस ब्लोग पर नियमित आते हैं ज़रूरी नहीं कि मेरे दूसरे ब्लोग पर भी जाते हों।
खैर। सुनिये यह जागर।



2 टिप्पणियां:

अमिताभ मीत ने कहा…

Mahen Bhai ....

Kehna kyaa hai ? Kabhi saath sun_na hai ....

ye raha mera id. Aur kahaan bhejuuN samajh nahiiN aaya is liye yehiiN de rahaa huuN:

amianut@yahoo.com

पंकज सिंह महर ने कहा…

महेन भाई, नमस्कार,
जागर के संबंध में हमने एक विस्तृत चर्चा मेरा पहाड़ फोरम पर की थी, जिस ब्लाग का उल्लेख आपने किया, उसमें जो भी जानकारी है, वह हमारे ही फोरम से ली गयी है। आशा है आप भी फोरम में आकर "जागर" पर अपने विचार देंगे।
लिंक है-http://www.merapahad.com/forum/culture-of-uttarakhand/jagar-calling-of-god/

सादर,

 

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