गुरुवार, 31 जुलाई 2008

वीर सावरकर का गीत, लता के सुर

10टिप्पणियां
संगीत की त्रासदी यह है कि लोग उसी भाषा के गीत सुनते हैं जो उन्हें समझ आती है। इस वजह से अच्छे से अच्छे कलाकार क्षेत्रीय होकर रह जाते हैं और हम भी कितने सारे दुर्लभ संगीत से वंचित रह जाते हैं। पिकासो ने कहा था कि लोग पेंटिंग का आनंद उठाने की बजाए उसे समझने लग जाते हैं और जब समझ नहीं आती तो उनका उस ओर से शौक भी खत्म हो जाता है जबकि होना यह चाहिये कि पेंटिंग की व्याख्या करने की बजाए उसका मज़ा लेना चाहिये। मेरे खयाल से यह बात संगीत पर उससे भी ज़्यादा लागू होती है। जब हम संगीत सुन रहे होते हैं तो वह बैकग्राउण्ड में आपकी थकी-तनी नसों को रिलैक्स करने का काम कर रहा होता है, चाहे आप उसे समझ पा रहे हों या नहीं।
बहुत पहले से इच्छा थी कि दुनियाभर का अच्छा संगीत संग्रहित कर सकूँ। इस प्रयास में आजतक लगा हूँ। सही शब्दों में अब ही शुरु किया है और मैं भाषा को अवरोध नहीं बनने देता। जो अच्छा लगता है सुनता हूँ। रफ़ी जी ने अपने एक इंटरव्यु में कहा था कि संगीत तो समन्दर है और मैं तो एक क़तरा भी नहीं हूँ। इस समन्दर को कभी भरा नहीं जा सकता। तो लगे हुए हैं अच्छा संगीत जोड़ने में।
आज मेरे पास मराठी का एक गीत है। गीत सुनकर आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि इसे लता जी ने गाया है और पंडित दीनानाथ मंगेशकर ने संगीत दिया है। मराठी जगत में यह गीत प्रसिद्व है मगर इसके बारे में मुझे अन्तरजाल पर कुछ खास जानकारी उपलब्ध नहीं हो सकी। जितना मुझे पता चला है यह वीर सावरकर ने कालापानी जाते हुए लिखा था और इसमें वे अपनी मातृभूमि को दण्डवत प्रणाम कर रहे हैं। मुझे मराठी नहीं आती इसलिये यदि यह विवरण ग़लत हो तो कृपया मुझे माफ़ कीजियेगा और इसे सुधारने की कृपा भी कीजियेगा।
यह गीत सुनकर मुझे कुछ वर्णनातीत सा महसूस होता है। उसे खैर अभी छोड़ देते हैं। फ़िलहाल तो मैं जानना चाहता हूँ कि आपको कैसा महसूस होता है यह गीत सुनकर।





Akhercha ha tula dandavat, sodun jato gaav
daridarituni maval deva, deul sodun dhaav
tuzya shivari jagale, hasale, kadi kapari amrut pyale
aata he pari sare sarle, urala maga naav
hay soduni jate aata, odhun neli jaisi seeta
kuni na urala vali aata, dharati de ga taav

पुनश्च: नीरज भाई ने अपनी टिप्पणी में मेरी ग़लत जानकारी का सुधार किया है। नीचे अक्षरक्ष: उनकी टिप्पणी दे रहा हूँ।
नीरज पाटकर (Niraj Patkar) ने कहा…
महेन भाई, यह उमदा गीत सुनने के लिये और बाकी लोगोंको सुनाने के लिये धन्यवाद । मै आपको यह बताना चाहुंगा कि मेरी जानकारी के अनुसार यह गीत बुजुर्ग मराठी कवयित्री शांताजी शेलके इनका लिखा है तथा संगीत स्वयं लताजी का है। वीर सावरकर का रचा एक अत्यंत प्रसिद्ध गीत है; पर वह अलग है। उस गीत के बोल है 'ने मजसी ने परत मातृभुमीला, सागरा प्राण तळमळला'

रविवार, 27 जुलाई 2008

रोमानियन - माल्दोवी गीत : तीन साल की क्लेओपेट्रा स्ट्राटन और तीस साल के सुर

5टिप्पणियां
तीन साल की बच्ची को एक परिपक्व (लगभग) गायिका के रूप में गाते देख मैं अचंभित रह गया था। क्लेओपेट्रा स्ट्राटन आज कोई छ: साल की है। रोमनिया - माल्दोव के मशहूर गायक पावेल स्ट्राटन की यह बेटी अचानक ही गायकी में उतर आई और प्रसिद्ध भी हुई। किसी की फ़ारवर्ड की हुई मेल से मेरा साबक़ा इस गायिका से पहली बार हुआ और तभी से मुरीद हूँ। अफ़सोस कि रोमानियन भाषा नहीं आती।

यह गीत उसकी पहली एलबम "La vârsta de trei ani" (इसका मतलब है "तीन साल की उम्र में") से है और गाने का शीर्षक "गित्ता" है। गित्ता लड़के का नाम है, इसे लड़की समझने की भूल न करें। जब यह गाया गया था तो क्लेओपेट्रा की उम्र तीन साल थी। किसी तरह गीत के बोलों का जुगाड़ मैनें कर लिया है और नीचे उसका अंग्रेज़ी तरजुमा भी दिया हुआ है हालांकि मैं नहीं जानता यह तरजुमा कितना सही है। वैसे संगीत की (कम से कम लोकप्रिय संगीत की) भाषा तो मुँह से ज़्यादा कानों की होती है तो तरजुमे की ज़रूरत किसे है?

आज इस हलकी-फुलकी पोस्ट का मज़ा लीजिये। भारी पोस्ट अगली बार तक के लिये स्थगित।




Hainutza sta in cui
Afara soare nu-i
Nimic nu-i bun pe camp
Ma gandesc la Ghita
Da' Ghita nu-i in sat
Eu m-am interesat
Imi pare ca-i plecat
Dupa hranita
Greu tare mi-i de greu
Vreu dar nu stiu ce vreu
Stiu ca si tu ma placi
Spune ghita ce tu taci
Ori vine un? du
Ori spune da ori nu
Eu ti rog nu ma-nerva
Ghita ce-i cu viata ta
Ghita te-astept diseara la portita
Langa portita de la scoala
Vino, dar numai nu veni cum vii tu
De obicei cu mana goala
Cine te mai asteapta ca si mine
O seara intreaga numai pe tine
Ghita arata-mi tu o fata care
Sa te iubeasca asa de tare

अंग्रेज़ी में यहाँ पढ़ा जा सकता है:

My coat is on the hook
The sun seems to be doomed
And nothing’s really good
I often think of Ghita
But Ghita’s not in town
I know I’ve asked around
It seems that he is gone
To get provisions
Hard it has been very hard
Want but don’t know what I want
Of me, I know you too are fond
Tell me Ghita what is up?
Or come or please go
Or tell me what to do
So please don’t make me mad
Ghita what’s up in your life?
Ghita I’ll wait for you my dear Ghita
Tonight at our place, do come
But when you come don’t come as you do
Usually, empty handed who else
Is gonna wait for you as I do?
A whole night, just for you my Ghita?
Show me just one other girl who
Can love you as much as I do
Ghita, I’ll wait for you my dear Ghita
Tonight at our place, do come
But when you come don’t come as you do
Usually empty handed who else
Is gonna wait for you as I do?
A whole night, just for you my Ghita?
Show me just one other girl who
Can love you as much as I do

शनिवार, 26 जुलाई 2008

क्या आपने फ़रीदा ख़ानम की ग़ज़ल सुनी हैं?

9टिप्पणियां
ग़ज़ल-गायकी में चंद ही लोग ऐसे हैं जिन्होनें न सिर्फ़ अपने लिये जगह बनाई है बल्कि ग़ज़ल कहने की शैली को एक नया जामा भी पहनाया है। अगर मेहदी हसन इनमें सबसे आगे हैं तो फ़रीदा आपा उनसे ज़्यादा पीछे नहीं है। ब्लोगजगत में पिछले कुछ समय से लगातार काफ़ी अच्छी ग़ज़लें सुनने को मिल रही हैं मगर मुझे हैरानी होती रही है कि क्यों फ़रीदा ख़ानम या बेग़म अख़्तर की ग़ज़लें नहीं सुनाई पड़तीं। सोचा क्यों न यह काम मैं ही कर डालूँ। फ़रीदा आपा की मेरी निजी पसंदीदा ग़ज़ल आज मैं पोस्ट कर रहा हूँ। क़तील शिफ़ाई की ग़ज़ल को कलात्मकता के साथ-साथ जिस RAW अंदाज़ में फ़रीदा आपा ने गाया है, वैसा संयोजन मुझे काफ़ी कम ग़ज़लों मे देखने को मिला है। ग़ज़ल का मक़्ता गाया नहीं गया है तो भी मुझे लगा उसे छोड़ देना क़तील जी के साथ अन्याय होगा:


तुम्हारी अंजुमन से उठ के दीवाने कहाँ
जो वाबस्ता हुए तुमसे वो अफ़साने कहाँ जाते

निकल कर दैर-ओ-काबा से अगर मिलता न मैख़ाना
तो ठुकराये हुए इंसाँ ख़ुदा जाने कहाँ जाते

तुम्हारी बेरुख़ी ने लाज रख ली बादाख़ाने की
तुम आँखों से पिला देते तो पैमाने कहाँ जाते

चलो अच्छा हुआ काम आ गई दीवानगी अपनी
वगरना हम ज़माने भर को समझाने कहाँ जाते

"क़तील" अपना मुक़द्दर ग़म से बेगाना अगर होता
फिर तो अपने-पराये हमसे पहचाने कहाँ जाते


नीचे दो लिंक दिये गए हैं। पहला वाला लिंक अपेक्षाकृत सही तरह से काम करना चाहिये।

 

प्रत्येक वाणी में महाकाव्य... © 2010

Blogger Templates by Splashy Templates