शनिवार, 11 अक्तूबर 2008

बाइलेस दे ओरो

2टिप्पणियां
स्पेनी संगीत ने पन्द्रहवीं शताब्दी में गिटार के अविष्कार से लेकर आज तक एक लंबा सफ़र तय किया है और यह अनायास ही नहीं कि विश्वभर में जब लोकप्रिय संगीत की बात चलती है तो स्पेनी गीतों की चर्चा ज़रूर होती है और भाषा की दीवार भी अपने-आप ही पार हो जाती है। आज लोकप्रिय संगीत के बड़े नामों में स्पेनी भाषा के कई नाम शुमार हैं।

खैर यह चर्चा चलाने से बेहतर होगा कि मैं आपके और संगीत के बीच से हट जाऊँ। यह जो इन्स्ट्रूमेंटल आज यहाँ बज रहा है वह वाल्ट्स संगीत है और हमारी श्रीमति जी के एक्स्क्लूज़िव स्पेनिश कलेक्शन में से है। नाचा न सही सुना तो जा ही सकता है।




शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2008

मन कुन्तो मौला

5टिप्पणियां
नुसरत साहब ने परंपरागत सूफ़ी गायकी से निकलकर इस विधा को जिस तरह से आमजन से जोड़ा, वह बेमिसाल था। वे पिछली सदी के चंद बेहद ज़रूरी और प्रभावी कलाकारों में से एक थे। उनका असमय जाना बेहद दुखद था। यदि वे जीवित होते तो हमारे पास कुछ और अच्छा संगीत होता।
उनके जो गीत, कव्वालियां आदि आमतौर पर सुनाई पड़ते हैं उन्होनें उसके इतर भी बहुत कुछ काम किया है।
उनकी कुछ उत्कृष्ट रचनाओं पर नुपुर सीडीज़ ने एक लंबी चौड़ी सीरीज़ निकाली थी। उसी में से एक कव्वाली यहां आज प्रस्तुत है।
मन कुन्तो मौला।

बुधवार, 1 अक्तूबर 2008

प्रकृति-पुत्र की प्रेम-अभिव्यक्ति

1 टिप्पणियां
लगता है दो दिन पहले सुनाए जागर को सुनकर यहाँ आने वाले लोग डर गए थे। सिवाय मीत भाई के कोई भी अपनी हाज़री नहीं लगा गया। इसलिय सोचा आज कुछ हटकर और ऐसा लगाया जाए जिसमें मास की रुचि हो।
कन्ट्री म्युज़िक ने एल्विस प्रेस्लि और गार्थ ब्रुक्स से होते हुए लंबे रास्ते तय किये हैं। संदर्भों से परे जब गीत समझ नहीं आते तो भी वे बरबस अपनी ओर खींच लेते हैं। अमरिकी जीवन में झांकने का एक माध्यम कन्ट्री म्युज़िक भी है और अगर ऐसा है तो मुझे लगता है "प्रकृति-पुत्र" जॉन डेनवर के गीतों को भुलाया नहीं जा सकता।
प्रेम पर हज़ारों गीत/कविताएं लिखे-गाए गए हैं मगर अभिव्यक्ति का चरम जैसा डेनवर के गीत "ऐनी'स सांग" में दिखता है वैसा असर अकसर कहीं दिखाई नहीं पड़ता। अपनी पत्नी ऐनी के लिये डेनवर ने यह गीत 1974 में लिखा और गाया था। यदि आप जानना चाहते हैं डेनवर ऐनी से कितना प्यार करते थे तो यह गाना सुन लीजिये, आपको अंदाज़ा हो जाएगा। वैसे इस प्रेम-गीत की प्रसिद्धि का अंदाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि यह गीत अमेरिका में हर शादी-ब्याह के मौके पर बजता था।



 

प्रत्येक वाणी में महाकाव्य... © 2010

Blogger Templates by Splashy Templates