मैनें सोचा कि शायद दोस्तों को ख़ूलियो के गाने पसंद आएं और एक गाना पोस्ट करने के लिये छांट लिया मगर तभी किशोरी अमोनकर के कुछ गीतों पर नज़र पड़ी और कबीर के लिखे कुछ भजनों पर नज़र पड़ी जो किशोरी अमोनकर ने ‘साधना’ एलबम में गाये थे। दिन की शुरुआत के लिये ‘घट घट में पंछी बोलता’ से बढ़िया क्या हो सकता है?
पर
9:14 am
कुछ दिनों से ख़ूलियो इग्लेसियास के गाने सुन रहा था जिन्हें अपनी पत्नी के आग्रह पर मैनें उनके मोबाइल पर डाल दिया था। दरअसल अथर्व महाराज को गाने सुनने का अभी से बेहद शौक है। शौक इस हद तक है कि अगर अगर उन्हें सुलाना हो तो मोबाइल पर गाने चलने चाहिये और अगर वे आधी रात को उठ जाएं तो भी तबतक रोते रहते हैं जबतक गाने न चलने लगें। मेरी हमेशा से इच्छा थी कि मेरे बच्चों को संगीत में रुचि रहे मगर इस तरह की रुचि की मैनें कल्पना नहीं की थी। उसपर तुर्रा ये कि अथर्व को अक्सर ढोल-ढमाके वाले गीत पसंद आते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ। अथर्व ने ख़ूलियो के गानों को खारिज कर दिया। खैर, संगीत वाइन की तरह होता है, धीरे-धीरे जज़्ब होगा और धीरे-धीरे टेस्ट बनेगा।
मैनें सोचा कि शायद दोस्तों को ख़ूलियो के गाने पसंद आएं और एक गाना पोस्ट करने के लिये छांट लिया मगर तभी किशोरी अमोनकर के कुछ गीतों पर नज़र पड़ी और कबीर के लिखे कुछ भजनों पर नज़र पड़ी जो किशोरी अमोनकर ने ‘साधना’ एलबम में गाये थे। दिन की शुरुआत के लिये ‘घट घट में पंछी बोलता’ से बढ़िया क्या हो सकता है?
शनिवार, 10 जुलाई 2010
घट घट में पंछी बोलता
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प्रस्तुतकर्ता -
महेन
मैनें सोचा कि शायद दोस्तों को ख़ूलियो के गाने पसंद आएं और एक गाना पोस्ट करने के लिये छांट लिया मगर तभी किशोरी अमोनकर के कुछ गीतों पर नज़र पड़ी और कबीर के लिखे कुछ भजनों पर नज़र पड़ी जो किशोरी अमोनकर ने ‘साधना’ एलबम में गाये थे। दिन की शुरुआत के लिये ‘घट घट में पंछी बोलता’ से बढ़िया क्या हो सकता है?
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